दैर कू-ए-यार है / Dair Qoo-E-Yaar Hai…
मेरी चाहतों की राह में, ना मज़हबी दीवार है मेरा इश्क़ है मेरी बन्दगी, मेरा दैर कू-ए-यार है (दैर : मंदिर, कू-ए-यार :
कुछ मेरी क़लम से ~ Kuchh Meri Kalam Se
मेरी चाहतों की राह में, ना मज़हबी दीवार है मेरा इश्क़ है मेरी बन्दगी, मेरा दैर कू-ए-यार है (दैर : मंदिर, कू-ए-यार :
मेरे चारागर मेरी बात सुन , मेरे दर्द की तू दवा न दे मेरा दर्द हासिल-ए-इश्क़ है, मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
बेमक़्सद तन्हा मरने से तो, तुम पर मरना अच्छा है तुम्हारी ज़मीं पर इश्क़ का मेरा, पेड़ लगाना अच्छा है अच्छे बुरे की
ये हादिसा तो बस बहाना था तुने युँ भी छोड़ जाना था तुमने सब कुछ ले लिया है नया हाँ ये रिश्ता भी
कुछ सुखे फूल अक्सर, महक उठते हैं किताबों में सोंचता था भूल चुका मैं, हर बात इतने सालों में यादों के जज़ीरे पर
कोई ले गया रँगीनियाँ अबके बहार से हम बेकार में रहे खफ़ा,गुले गुलज़ार से (रँगीनियाँ : beauty, गुले गुलज़ार : बगिचे का फूल)
जो जुनून था तेरे इश्क़ का अच्छा हुआ उतर गया हुई बारिशें भी ज़ोर से , फिर आसमाँ निखर गया कुछ राहज़न भी