1.
उसने करम किया भी, तो किश्तों में मेरे साथ
मुझ पर नज़र भी डाली,तो तिरछी निगाह से
2.
एक मैं हीं नहीं हुँ तन्हा, हमसफ़र उदासियों का
मैंने चाँद को रोते देखा है , अक्सर ठंडी रातों में
3.
कभी तो मेरे दिल की ये आर्ज़ू निकले
यूँ हीं किवाड़ खोलूँ, और तू निकले
4.
अब जा कर मैं समझा हुँ, अपनी माँ की उस परेशानी को
जब ख़ुद को अपने बच्चों के, इंतिज़ार में जगते देखा है
5.
अपनी हथेली को इसी वास्ते, उसने देखा नहीं है अब तलक
कोई लकीर मेरे हक़ में कहीं, कोई फैसला सुना न दे
6.
तेरे अश्क़ की हर बुँद से, रिश्ता है मेरी आँख का
तुझे एक पल जो ग़म मिले, मेरी हर खुशी बेकार है
7.
ये हादिसा तो बस बहाना था
तुने युँ भी छोड़ जाना था
8.
नफ़रतों में भी, रहता है मेरी
उस शख़्स में ऐसी, बात क्या है
9.
वक्त-ए-रुख़्सत गिला करुँ, मैं एसा भी ख़ुद्दार नहीं
मीठी यादों की ख़ातिर, मेरा सर झुकाना अच्छा है
10.
वो क़िस्से हमारे इश्क़ के, जो मशहूर कभी गुलशन में थे
वो कहानियाँ अब ख़त्म हुई, वो बाग भी उजड़ गया
11.
क़ब्र खोलो ज़रा, के साँस मिले
दफ़्न हुअे हमेँ, अब तो युग निकले
12.
माना तू सबसे आगे है, मगर न बैठ यहाँ अभी जाना है
मैंने चार कदम पर मँज़िल से, लोगों को भटकते देखा है